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बचपन में 80 किलो का मोटापा ‘सिरदर्द’ बना था, फिर टोकियो ओलिंपिक में गोल्ड जीतकर इतिहास रचनेवाले Gold Medalist Neeraj Chopra को भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से किया सम्मानित।
“दर्द कहाँ तक पाला जाए, युद्ध कहाँ तक टाला जाए,
तू भी है राणा का वंशज, फेंक जहाँ तक भाला जाए”
कवि वाहिद अली वाहिद द्वारा लिखी गई यह कविता Track and Field Athlete Neeraj Chopra पर बिल्कुल फिट बैठती है, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भारत को जेवलिन थ्रो में पहला स्वर्ण पदक दिलाया था। ऐसा लगता है, की जैसे नीरज चोपड़ा को ध्यान में रखकर ही उन्होंने इसे लिखा हो।
Table of Contents
नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलिंपिक (Tokyo Olympics) के भाला फेंकने की प्रतियोगिता अर्थात जैवलिन थ्रो के फाइनल में जिस तरह से 87.58 मीटर की दूरी तय कर भाला फेंका, उसकी जीतनी तारीफ की जाए उतनी कम ही होगी। नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। नीरज चोपड़ा ने भारत के 100 साल के इंतजार को खत्म कर दिया है। महज 23 साल की उम्र में नीरज चोपड़ा ने अपनी फिटनेस की जो मिसाल कायम की है वह सभी को प्रेरणा देने वाली है।
नाम (Name) | नीरज चोपड़ा |
जन्म | 24 दिसंबर, 1997 |
जन्म स्थान | पानीपत हरियाणा |
उम्र (Age) | 24 साल (2022 तक) |
माता | सरोज देवी |
पिता | सतीश कुमार |
नेटवर्थ | लगभग 5 मिलियन डॉलर |
शिक्षा | स्नातक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
कोच | जयवीर सिंह, उवे होन |
संपूर्ण विश्व में रैंकिंग | 7 |
पेशा | जैवलिन थ्रो एथलीट |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
जाति | हिन्दू रोर मराठा |
बचपन में 80 किलो वजन को लेकर आलोचनाओं का शिकार हुए नीरज के लिए टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड जीतने का सफर इतना आसान नहीं था। इस दौरान उन्हें कई सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आइए इस लेख में जानते हैं, Indian Track and Field Athlete Neeraj Chopra के इस फर्श से अर्श तक के प्रेरणादायी सफर के बारे में।
अपने प्रदर्शन से देश को गौरवान्वित करने वाले Neeraj Chopra (स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा) का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत में एक किसान परिवार में हुआ। नीरज ने अपनी शुरुआती पढ़ाई पानीपत से ही की। अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद, नीरज चोपड़ा ने चंडीगढ़ के एक बीबीए कॉलेज में दाखिला लिया और वहीं से स्नातक की पढ़ाई की।
बचपन में Neeraj Chopra काफी मोटे थे। महज 13 साल की उम्र में ही उनका वजन करीब 80 किलो था। जिससे गांव के दूसरे बच्चे उनका मजाक उड़ाते थे, उनके परिवार वाले भी उनके मोटापे से परेशान रहते थे। इसलिए 13 साल की उम्र से ही उनके चाचा उन्हें दौड़ने के लिए स्टेडियम ले जाने लगे।
लेकिन इसके बाद भी उनका मन दौड़ में नहीं लगा। स्टेडियम में जाते समय उन्होंने देखा कि दूसरे खिलाड़ी वहां भाला फेंक रहे हैं, तो वह भी उसमें उतर गए। और यहीं से उनकी जिंदगी बदल गई। उन्होंने अपनी फिटनेस पर काफी मेहनत की और टोकियो ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतकर नया इतिहास रच दिया।
एक समय था जब नीरज के पास कोच नहीं था। इसके बाद भी Neeraj Chopra ने हार नहीं मानी। उन्होंने यूट्यूब को अपना गुरु मानकर भाला फेंकने की बारीकियां सिखने लगे, और इसके बाद वे मैदान में पहुंच जाते थे। उन्होंने यूट्यूब के वीडियो देखकर अपनी कई कमियों को दूर किया।
Neeraj Chopra को शुरूआती दौर में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण उनके परिवार के पास नीरज को अच्छी क्वालिटी का भाला दिलाने के लिए पैसे नहीं थे। लेकिन नीरज ने बिना किसी निराशा के सस्ते भाले से अपना अभ्यास जारी रखा।
नीरज चोपड़ा की प्रतिभा को देखकर उन्हें सबसे पहले भाला फेंकने की कला पानीपत के कोच जयवीर सिंह ने सिखाई। इसके बाद उन्होंने 2011 से 2016 की शुरुआत तक पंचकूला में ट्रेनिंग ली। हालांकि, नीरज ना सिर्फ भाला फेंकते थे, बल्कि लंबी दूरी के धावकों के साथ दौड़ भी लगाते। नीरज के साथ पानीपत के ट्रेनिंग में उनके पंचकूला के हॉस्टल में रहने वाले कुछ दोस्त भी थे।
Track and Field Athlete Neeraj Chopra ने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ भाला फेंकने का अभ्यास जारी रखा, इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते। नीरज ने पोलैंड में हुए 2016 IAAF वर्ल्ड U-20 चैंपियनशिप में 86.48 मीटर भाला फेंक कर गोल्ड मेडल जीता।
इससे खुश होकर सेना ने उन्हें नायब सूबेदार के रूप में राजपुताना रेजीमेंट में जूनियर कमीशंड अधिकारी नियुक्त किया। सेना में अधिकारियों के रूप में खिलाड़ियों की नियुक्ति बहुत कम होती है, लेकिन Neeraj Chopra को उनकी प्रतिभा के कारण प्रत्यक्ष अधिकारी बनाया गया।
Neeraj Chopra के लिए राह हमेशा आसान नहीं रही है। उन्हें कंधे की चोट के कारण मैदान से बाहर रहना पड़ा। भाला फेंक (javelin throw) में कंधा ही सबसे मजबूत कड़ी है। नीरज भाले (javelin) के बिना नहीं रह सकते थे। ठीक होने के बाद वह फिर से मैदान पर लौट आए। कई प्रतियोगिताएं कोरोना के कारण नहीं खेली जा सकीं। लेकिन उन्होंने बिना हिम्मत हारे टोक्यो ओलंपिक में क्वालीफाई कर लिया। नीरज ने अपने पहले टूर्नामेंट में ही अपना कोटा हासिल कर लिया था।
Track and Field Athlete ने भाला फेंक को ही अपना एकमात्र लक्ष्य बनाया। जकार्ता, इंडोनेशिया में साल 2018 एशियाई खेलों (Asian Games) में, नीरज ने 88.06 मीटर भाला फेंक कर स्वर्ण पदक (Gold Medal) जीता। नीरज एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय हैं। एशियाई खेलों के इतिहास में भारत ने अब तक जेवलिन थ्रो में केवल दो पदक जीते हैं। नीरज से पहले गुरतेज सिंह ने 1982 में कांस्य पदक जीता था।
2018 में एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में शानदार प्रदर्शन करने के बाद नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) की कंधे की चोट का शिकार हो गए। इस वजह से वह लंबे समय तक खेल से दूर रहे, जिसके बाद कोरोना के कारण कई इवेंट रद्द कर दिए गए, जिससे उनके खेल पर काफी असर पड़ा, लेकिन इसके बाद भी मार्च 2021 में, उन्होंने पटियाला में आयोजित इंडियन ग्रांड प्रिक्स में जोरदार वापसी की, और 88.07 मीटर भाला फेंककर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए, एक नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया।
टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारत को एक गोल्ड मैडल की दरकार थी। नीरज चोपड़ा ने भारत के इस सूखे को खत्म करने का काम किया। 2008 के बाद, नीरज भारत की ओर से व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने। इससे पहले 2008 बीजिंग ओलंपिक में निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण पदक जीता था।
नीरज चोपड़ा ने अपने अब तक के करियर में कई मेडल जीते हैं। उन्होंने विश्व चैंपियनशिप (World Championships) को छोड़कर सभी प्रमुख टूर्नामेंटों में स्वर्ण पदक जीते हैं। नीरज की प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में 86.65 मीटर का थ्रो फेंका। वहीं अपने फाइनल मैच में उन्होंने अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए 87.58 मीटर की दूरी पर भाला फेंका। इसके चलते वे भारत की ओर से गोल्ड जीतने वाले इकलौते खिलाड़ी बनकर उन्होंने इतिहास रच दिया।
टोकियो ओलिंपिक में गोल्ड जीतकर इतिहास रचनेवाले Track and Field Athlete Neeraj Chopra को भारत सरकार ने देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है।
टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मैडल जीतने वाले Track and Field Athlete Neeraj Chopra आज करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के दम पर अपनी सफलता की कहानी (Success Story) लिखी है।
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सामान्य प्रश्न:
Ans: नीरज चोपड़ा विश्व रैंकिंग 7 है।
Ans: नीरज चोपड़ा की नेटवर्थ लगभग 5 मिलियन डॉलर+ (INR लगभग 37 करोड़ ) है।
Ans: नीरज चोपड़ा वर्तमान में भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर हैं। 2020 के टोक्यो ओलंपिक के बाद, हम सभी भाला फेंकने वाले नीरज चोपड़ा से एक स्वर्ण पदक विजेता ओलंपियन के रूप में परिचित हो गए, लेकिन भारतीय सेना में उनकी भूमिका से बहुत कम लोग परिचित हैं।
Ans: ट्रैक एंड फील्ड एथलीट (Track and field athlete)
Ans: नीरज चोपड़ा, जिनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 88.07 मीटर मीटर है, उन्होंने टोक्यो खेलों में अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर के थ्रो के साथ ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता।