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Major Sandeep Unnikrishnan Biography in Hindi (मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जीवनी), Major Sandeep Unnikrishnan Family, Early Life, Army Career, Operation Black Tornado, Ashoka Chakra, Biopic
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड [National Security Guard (NSG)] के एलीट 51 स्पेशल टास्क ग्रुप में सेवारत मेजर संदीप उन्नीकृष्णन भारतीय सेना में एक अधिकारी थे। नवंबर 2008 में मुंबई में हुए एक आतंकी हमलें में वो शहीद हो गए। इसके परिणामस्वरूप, 26 जनवरी, 2009 को उन्हें राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल जी द्वारा भारत के सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।
Table of Contents
Major Sandeep Unnikrishnan की शहादत उनके माता-पिता के लिए दुख से ज्यादा गर्व की अनुभूति देती है। बचपन से उनका एक ही सपना था, आर्मी ऑफिसर बनना और अपने देश की सेवा करना। मेजर उन्नीकृष्णन ने भी कारगिल युद्ध में भाग लिया था। आपको जानकर हैरानी होगी, कि 12 जुलाई 1999 को जब कारगिल युद्ध चल रहा था तब मेजर उन्नीकृष्णन को सेना में कमीशन दिया गया था।
नाम (Name) | संदीप उन्नीकृष्णन |
जन्म की तारीख | 15 मार्च 1977 (मंगलवार) |
उम्र (Age) | 31 वर्ष (मृत्यु के समय) |
जन्म स्थान | कोझीकोड, केरल |
मृत्यु की तारीख | 28 नवंबर 2008 (शुक्रवार) |
मृत्यु स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र |
गृहनगर | बेंगलुरु, कर्नाटक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
स्कूल | फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल, बैंगलोर |
महाविद्यालय | राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, पुणे |
सेवा/शाखा | भारतीय सेना |
यूनिट (Unit) | 51 एसएजी, एनएसजी 7 बिहार |
रैंक (Rank) | मेजर |
सेवा के वर्ष | 1999-2008 |
सम्मान | 26 जनवरी 2009 को अशोक चक्र |
Major Sandeep Unnikrishnan का जन्म 15 मार्च 1977 (मंगलवार) को केरल राज्य के कोझीकोड जिले के चेरुवन्नूर में हुआ, वो बैंगलोर में रहने वाले एक मलयाली परिवार से आते है। वह सेवानिवृत्त इसरो अधिकारी के. उन्नीकृष्णन और धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन के इकलौते पुत्र थे। उन्होंने नेहा उन्नीकृष्णन से शादी की थी।
पिताजी का नाम | के उन्नीकृष्णन (सेवानिवृत्त इसरो अधिकारी) |
माँ का नाम | धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन |
पत्नी का नाम | नेहा उन्नीकृष्णन |
1995 में आईएससी साइंस से स्नातक होने से पहले, संदीप ने फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल, बैंगलोर (Frank Anthony Public School, Bangalore) में 14 साल बिताए। बचपन से ही वह सेना में शामिल होना चाहते थे, स्कूल के दोस्तों को उन्होंने कहा भी था, कि वह भारतीय सेना में अपना करियर बनाएंगे और देश की सेवा करेंगे। यहाँ तक की स्कूल में कई बार उन्होंने अपने बाल आर्मी स्टाइल ” क्र्यू कट हेयर स्टाइल ”में कटवाये थे।
Major Sandeep Unnikrishnan एक अच्छे एथलीट खिलाडी भी थे। उनके साथी और शिक्षक उन्हें एक महान एथलीट के रूप में याद करते हैं, जो स्कूल की गतिविधियों और खेल प्रतियोगिताओं में सक्रिय थे। पढ़ाई के साथ साथ खेलो में भी उन्होंने कई सारे रिकॉर्ड बनाये है, जिसमें से कुछ रिकॉर्ड दूसरे खिलाड़ियों द्वारा टूट गये और कुछ रिकॉर्ड अभी तक कायम है। उन्हें म्यूजिक से बड़ा प्यार था, पढाई के दौरान वे एक Music Group के सदस्य भी थे, फिल्में देखने का आनंद लेते थे।
रैंक (Rank) | मेजर |
सेवा/शाखा | भारतीय सेना |
यूनिट (Unit) | 51 एनएसजी के लिए विशेष कार्य समूह |
सर्विस नं. | IC-58660 |
सेवा के वर्ष | 1999-2008 |
सम्मान | 26 जनवरी 2009 को अशोक चक्र |
Major Sandeep Unnikrishnan राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA), पुणे, महाराष्ट्र में 1995 में शामिल हुए। वह ऑस्कर स्क्वाड्रन नंबर 4 बटालियन का हिस्सा थे, और उन्होंने एनडीए के 94वें कोर्स से कला में भी स्नातक डिग्री हासिल की थी। उनके NDA के दोस्त आज भी उन्हें एक निःस्वार्थ, उदार, शांत और रचनाशील के रूप में याद करते हैं।
भारतीय सैन्य अकादमी (IMA), देहरादून में, वह 104 वें नियमित पाठ्यक्रम का हिस्सा थे। उन्होंने IMA से स्नातक की उपाधि 12 जून 1999 को, प्राप्त की और भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में बिहार रेजिमेंट (इन्फैंट्री) की 7 वीं बटालियन में कमीशन प्राप्त किया।
12 जून, 2003 को, संदीप उन्नीकृष्णन को कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया गया, और उसके बाद मेजर के पद पर 13 जून, 2005 को पदोन्नत किया गया। Major Sandeep Unnikrishnan ‘घातक कोर्स’ (इन्फैंट्री विंग कमांडो स्कूल, बेलगाम में) के दौरान, ‘इंस्ट्रक्टर ग्रेडिंग’ और कमेंडेशन अर्जित करते हुए दो बार कोर्स में टॉप किया। ‘घातक कोर्स’ भारतीय सेना के सबसे कठिन कोर्स माने जाने वाले में से एक है।
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने जुलाई 1999 में ऑपरेशन विजय (Operation Vijay) में हिस्सा लिया था, जब पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया और कारगिल का युद्ध छिड़ गया। मेजर को पाकिस्तानी सेना की ओर से भारी तोपखाने और छोटे हथियारों की गोलाबारी से निपटने के लिए अग्रिम चौकी (Forward Posts) पर तैनात किया गया था।
Major Sandeep Unnikrishnan ने आगे बढ़कर 31 दिसंबर 1999 की शाम को, छह सैनिकों की एक टुकड़ी का नेतृत्व किया, और विरोधी पक्ष से 200 मीटर की दूरी पर भारी विरोध और पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी के खिलाफ एक पोस्ट स्थापित करने में कामयाब रहे।
1999 के कारगिल युद्ध के बाद Major Sandeep Unnikrishnan भारत और पाकिस्तान के बीच दूसरे बड़े सैन्य गतिरोध ऑपरेशन पराक्रम (Operation Parakram) का भी हिस्सा थे। भारतीय सेना ने 1 अक्टूबर 2001 को भारत की संसद और जम्मू-कश्मीर विधान सभा पर 13 दिसंबर, 2001 के आतंकवादी हमले का जवाब देना शुरू किया। भारत ने दावा किया कि इन हमलों के पीछे दो पाकिस्तानी आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का हाथ है।
20 दिसंबर को, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और प्रतिबंधों के कारण, और संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और संयुक्त राष्ट्र से संयम बरतने के आह्वान के कारण भारत ने कश्मीर और भारतीय पंजाब में अपने सैनिकों को लामबंद और तैनात किया, जो 1971 के संघर्ष के बाद से भारत की सबसे बड़ी सैन्य लामबंदी थी। और इस लामबंदी के लिए भारतीय कोडनेम ऑपरेशन (Operation Parakram) पराक्रम था। इनके अलावा, मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ऑपरेशन रक्षक और काउंटर-इंसर्जेंसी सहित विभिन्न लड़ाइयों / युद्धों में भी शामिल थे।
उन्हें गुलमर्ग में हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल, में भी प्रशिक्षित किया गया था। सियाचिन, जम्मू और कश्मीर, गुजरात (2002 के गुजरात दंगों के दौरान), हैदराबाद और राजस्थान सहित विभिन्न स्थानों में सेवा करने के बाद, उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (National Security Guard – NSG) में शामिल होने के लिए चुना गया था। प्रशिक्षण पूरा होने पर, उन्हें जनवरी 2007 को एनएसजी के 51 विशेष कार्य समूह (51 SAG) के प्रशिक्षण अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया और एनएसजी के विभिन्न कार्यों में भी भाग लिया।
26 नवंबर 2008 की रात को पाकिस्तान के आतंकियों द्वारा दक्षिण मुंबई की कई प्रतिष्ठित इमारतों पर हमला किया गया था। 100 साल पुराना ताजमहल पैलेस होटल उन इमारतों में से एक था जिसमें बंधकों को रखा गया था। Major Sandeep Unnikrishnan बंधकों को छुड़ाने के लिए होटल में तैनात 51 स्पेशल एक्शन ग्रुप (51 SAG) के टीम कमांडर थे। वो 10 कमांडो के समूह के साथ ताजमहल पैलेस होटल पहुंचे, और सीढ़ियों के सहारे छठी मंजिल पर पहुंचे।
जो बंधक छठी और पांचवीं मंजिल पर थे, उन्हें निकालने के बाद, कमांडो की टीम सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी, तभी उन्हें एक आतंकवादी पर शक हुआ, जो चौथी मंजिल के एक कमरे में अंदर से बंद था। कमांडो ने कमरे का दरवाजा तोड़ते ही आतंकियों ने कमांडो सुनील कुमार यादव के दोनों पैरों पर फायरिंग कर दी। सुनील कुमार यादव को बचाने और सुरक्षित निकालने में Major Sandeep Unnikrishnan कामयाब रहे, लेकिन आतंकवादियों ने कमरे के अंदर एक ग्रेनेड ब्लास्ट किया और वहा से भाग गए।
अगले 15 घंटे तक मेजर संदीप उन्नीकृष्णन और उनकी टीम बंधकों को होटल से बाहर निकालने में लगी रही। मेजर संदीप और उनकी टीम ने 27 नवंबर की आधी रात को, ऊपर जाने के लिए होटल की सेंट्रल सीढ़ी का रास्ता अपनाने का फैसला किया, वो जानते थे कि यह एक बड़ा खतरा है, लेकिन वह ये जोखिम लेने को तैयार थे, क्योंकि आतंकवादियों को खोजने और होटल में फंसे अन्य बंधकों को छुड़ाने का यही एकमात्र तरीका था।
जैसी कि उम्मीद थी, आतंकवादियों ने कमांडो को सेंट्रल सीढ़ियों से ऊपर आते देखा, तो उन्होंने एनएसजी टीम पर पहली मंजिल से हमला कर दिया, जिस हमले में कमांडो सुनील कुमार जोधा गंभीर रूप से घायल हो गए। Major Sandeep Unnikrishnan ने तुरंत उनकी निकासी की व्यवस्था की और आतंकवादियों पर फायरिंग करना जारी रखा। आतंकी अगली मंजिल पर भागने की कोशिश कर रहे है ये देखकर उन्होंने अकेले ही आतंकवादियों का पीछा करने का फैसला किया।
इसके बाद हुई मुठभेड़ में, वह अकेले ही चार आतंकवादियों को ताजमहल होटल के उत्तरी बॉलरूम में एक कोने में ले जाने में कामयाब रहे, लेकिन इस दौरान उन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया। एनएसजी (NSG) अधिकारियों के अनुसार, उनके अंतिम शब्द थे,
”ऊपर मत आना, मैं उन्हें संभाल लूंगा (Don’t come up, i’ll handle them)”.
बाद में एनएसजी कमांडो ने ताज होटल के बॉलरूम और वसाबी रेस्टोरेंट (Wasabi restaurant) में छिपे चारों आतंकियों को ढेर कर दिया।
Major Sandeep Unnikrishnan के मौत की खबर एक दिन बाद साझा की गई, क्योंकि बंधकों के लिए तलाशी अभियान अभी भी जारी था और आतंकवादी इमारत में फंस गए थे। जब लक्ष्य को निष्प्रभावी कर दिया गया और बंधकों को बचा लिया गया, तो खबर बाहर हो गई। उनका अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया।
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के अंतिम संस्कार में आये हुए लोगो ने “संदीप उन्नीकृष्णन अमर रहे” के नारे लगाए। हजारों की संख्या में लोग बेंगलुरू में उनके घर के बाहर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए आये थे।
2020 में, Major Sandeep Unnikrishnan के जीवन पर एक बायोपिक बनाने के प्रयास में सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट ने निर्माता संघ के साथ दो खिताब ‘मेजर’ और ‘मेजर संदीप’ को पंजीकृत किया है। इस फिल्म का निर्माण अभिनेता महेश बाबू ने किया है, और Major Sandeep Unnikrishnan की मुख्य भूमिका में टॉलीवुड अभिनेता-निर्देशक अदिवि सेश हैं। इस फिल्म की मुख्य शूटिंग फरवरी 2020 में शुरू हुई थी, और ये फिल्म 3 जून 2022 से सिनेमाघरों में दस्तक देगी।
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन (Major Sandeep Unnikrishnan) ने सौहार्द और सर्वोच्च नेतृत्व के अलावा सबसे विशिष्ट बहादुरी का प्रदर्शन किया और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। मेजर संदीप आज भी हमारे दिलों में हैं। उन्होंने देश की सेवा की हैं, और ये देश हमेशा उनका ऋणी रहेगा।
जय हिंद!
सामान्य प्रश्न:
Ans: 26 नवंबर 2008 की रात को पाकिस्तान के आतंकियों ने दक्षिण मुंबई के ताजमहल पैलेस होटल में लोगों को बंधक बनाया था। Major Sandeep Unnikrishnan बंधकों को छुड़ाने के लिए होटल में तैनात 51 स्पेशल एक्शन ग्रुप (51 SAG) के टीम कमांडर थे। इस हमले में कार्रवाई के दौरान वह शहीद हो गए।
Ans: जी हां, मेजर संदीप उन्नीकृष्णन शादीशुदा थे, उन्होंने नेहा उन्नीकृष्णन से शादी की थी।
Ans: जी नहीं, वह नवंबर 2008 के मुंबई हमलों के दौरान कार्रवाई में शहीद हो गए।
Ans: “ऊपर मत आओ, मैं उन्हें संभाल लूंगा,” संभवत: आखिरी शब्द थे जो Major Sandeep Unnikrishnan, ने अपने कमांडो से कहा था।
Ans: Major Sandeep Unnikrishnan की मुख्य भूमिका टॉलीवुड अभिनेता-निर्देशक अदिवि सेश निभा रहे हैं। इस फिल्म का निर्माण अभिनेता महेश बाबू ने किया है, यह फिल्म 3 जून 2022 से सिनेमाघरों में रिलीज होगी।